हरितालिका तीज व्रत 2025 – संपूर्ण पूजा विधि, कथा और मंत्र | Haritalika Teej Vrat Puja Vidhi

हरितालिका तीज व्रत 2025 – संपूर्ण पूजा विधि, कथा और मंत्र

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Description: हरितालिका तीज व्रत का महत्व, संपूर्ण पूजा विधि, मंत्र, कथा और पारण की जानकारी। विवाहित स्त्रियाँ पति की लंबी उम्र व अखंड सौभाग्य के लिए और अविवाहित कन्याएँ अच्छे पति की प्राप्ति हेतु यह व्रत करती हैं।

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1. हरितालिका तीज का महत्व

हरितालिका तीज का व्रत विवाहित स्त्रियों द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य के लिए किया जाता है। अविवाहित कन्याएँ भी यह व्रत अच्छे पति की प्राप्ति हेतु रखती हैं। यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।

2. व्रत एवं पूजन का समय

व्रत तिथि: भाद्रपद शुक्ल तृतीया

पूजा का शुभ मुहूर्त: प्रातः या संध्या (स्थानीय पंचांग देखें)

पारण का समय: अगले दिन चतुर्थी तिथि पर सूर्योदय के बाद

3. आवश्यक पूजन सामग्री

  • भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी की प्रतिमा या चित्र
  • मिट्टी/बालू से बने शिव-पार्वती-गणेश (यदि संभव हो)
  • कलश, नारियल, आम्रपल्लव
  • दीपक, अगरबत्ती
  • चावल (अक्षत), दूर्वा, बेलपत्र
  • फूल, माला
  • धूप, कपूर
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
  • फल, मिठाई, मिष्ठान्न
  • पान-सुपारी, दक्षिणा, सिक्का
  • जल का लोटा, गंगाजल
  • लाल/पीला वस्त्र, चुनरी
  • श्रृंगार सामग्री (चूड़ी, बिंदी, मेहंदी आदि)
  • कथा पुस्तक या हरितालिका तीज व्रत कथा

4. व्रत व पूजा का संकल्प (आह्वान)

पूजा स्थल को स्वच्छ करके मंडप सजाएँ। पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।

दाएँ हाथ में थोड़ा चावल और फूल लेकर कहें:

"मैं हरितालिका तीज व्रत कर रही हूँ। आप सभी देवी-देवता अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें और मेरा व्रत अच्छे से पूर्ण करने का आशीर्वाद दें। पूजा में जाने-अनजाने कोई भूल-चूक हो जाए तो मुझे क्षमा करें और मुझे पूजा का संपूर्ण शुभ फल प्रदान करें।"

फिर यह चावल व फूल पूजा स्थान पर रख दें।

फिर से दाएँ हाथ में जल, अक्षत (चावल), फूल और पैसा लेकर अपना नाम, गोत्र और पता बोलें।
फिर प्रार्थना करें:

"आज मैं हरितालिका तीज व्रत कर रही हूँ। कृपा करके आप यहाँ पधारें, मेरी पूजा स्वीकार करें और मुझे अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्रदान करें।"

अब यह मंत्र तीन बार बोलें:

ॐ पार्वत्यै नमः
ॐ शंकराय नमः

यह कहते हुए जल, फूल, अक्षत और पैसा पूजा स्थान पर अर्पित कर दें।

5. पूजा विधि क्रमवार

  1. गणेश जी की पूजा करें:
    गणेश जी को स्नान कराएँ, अक्षत, दूर्वा, फूल, मिठाई अर्पित करें।
    मंत्र: "ॐ गं गणपतये नमः"
  2. भगवान शिव की पूजा करें:
    शिवलिंग को जल, गंगाजल, दूध, पंचामृत से स्नान कराएँ।
    बेलपत्र, धतूरा, अक्षत, पुष्प अर्पित करें।
    मंत्र: "ॐ नमः शिवाय"
  3. माता पार्वती की पूजा करें:
    माता को श्रृंगार सामग्री, चुनरी अर्पित करें।
    मेहंदी, चूड़ी, बिंदी, सिंदूर अर्पित कर सौभाग्य का आशीर्वाद लें।
    मंत्र: "ॐ पार्वत्यै नमः"
  4. शिव-पार्वती विवाह कथा का स्मरण करें:
    हरितालिका तीज व्रत कथा का पाठ करें।
    कथा सुनने के बाद आरती करें।

6. हरितालिका तीज व्रत कथा संक्षेप में

पुराणों के अनुसार, माता पार्वती ने कठोर तपस्या कर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया। उन्होंने अपने मन की इच्छा के विरुद्ध किसी अन्य से विवाह करने से बचने के लिए अपनी सखियों के साथ जंगल में जाकर व्रत रखा। उनकी भक्ति और तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इसी की स्मृति में हरितालिका तीज का व्रत किया जाता है।

7. व्रत पारण

अगले दिन चतुर्थी तिथि के सूर्योदय के बाद, पूजन के पश्चात व्रत का पारण करें।
भगवान को भोग लगाएँ।
दान-दक्षिणा देकर व्रत समाप्त करें।

8. विशेष बातें

  • व्रत के दिन जल और फलाहार से भी परहेज कर सकती हैं (निर्जला व्रत), लेकिन यह पूरी श्रद्धा और सामर्थ्य पर निर्भर है।
  • पूजा करते समय मन को पूरी तरह से शिव-पार्वती की भक्ति में लगाएँ।

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